Doordarshan celebrating its 55 years today

JitendraKumar

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Doordarshan celebrating its 55 years today; Made a modest beginning in India on 15th September 1959.
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[/b]दूरदर्शन ने पूरे किए 55 साल, पढ़िए उसके सफर की कहानी...

भारत में सरकारी प्रसारक दूरदर्शन आज अपने 55 साल पूरे कर रहा है। 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन की शुरुआत हुई थी। शुरू में कई वर्षों तक दूरदर्शन भारत में शिक्षा, सूचना और मनोरंजन का प्रमुख स्रोत रहा।
दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घंटे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था, तब इसको ‘टेलिविजन इंडिया’ नाम दिया गया था। बाद में 1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया।
शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलिविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था, तब दिल्ली में लोग इसको आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारे और दिल्ली (1965), मुंबई (1972), कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई।
शुरुआत में तो दूरदर्शन दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुंचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई। दरअसल इसकी वजह 1982 में दिल्ली में आयोजित होने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि ब्लैकएंडव्हाइट दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरू हुआ पारिवारिक कार्यक्रम ‘हम लोग’ जिसने लोकप्रियता के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए।
1984 में देश के गांव-गांव में दूरदर्शन पहुंचाने के लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना ‘बुनियाद’ कार्यक्रम, जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर-घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर-घर में पहचान दे दी।
दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़,ये जो है जिंदगी, रजनी, ही मैन,वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बेताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को जबर्दस्त लोकप्रियता मिली।
रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरू हुए रामायण और इसके बाद शुरू हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे।[/b]
 
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