"किये थे काम हमने भी जो कुछ भी हमसे बन पाये,
ये बातें तब की हैं आज़ाद थे और था शबाब अपना;
मगर अब तो जो कुछ भी हैं उम्मीदें बस वो तुमसे हैं,
जबाँ तुम हो लबे-बाम आ चुका है आफताब अपना.
अशफाकुल्लाह खां"
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"Were made to us that we also become anything found,
They are talking to when he was free and youthfulness;
But now she Whatever expectations you just love,
Jabam you have been long-balm Aftab. "